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बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ

 

भगवान ने दो रचनाएं बनाईं

 एक नर और दूसरी है नारी

 नर का आधार बेटा है

 और नारी का आधार है बेटी।  

महक है, फूलों की खुशबू है बेटी,

 चंदा है, चंदा की चांदनी है बेटी,  

तारे हैं तारों की शीतलता है बेटी,

 सम्मान है, अभिमान है बेटी,

 राखी है, भाई की कलाई पर प्यार का धागा है बेटी,

लोरी है, मां की ममता का आंचल है बेटी,

 त्याग है तपस्या का फल है बेटी,

 सेवा है, बहू के रूप में लक्ष्मी है बेटी,

मेहंदी है, पत्नी के रूप में पायल की झनकार है बेटी,

 श्रद्धा है देवी का वरदान है बेटी,

ए मानव तू उस पर विश्वास कर

 वह तेरे जीवन का सार बनेगी,

 तू उसे स्वावलंबी बना

 वो तेरा अभिमान बनेगी।

 तू उसका आज बन

 वह तेरा कल बनेगी,

 तू उसका वर्तमान बन

 वह तेरा भविष्य बनेगी।

 तभी तू उस परमात्मा की रचना को सार्थक कर पाएगा

 तो शायद तभी सही अर्थों में मानव कहलाएगा ।





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